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Inspirational Hindi story सियार और शेर |

Inspirational Hindi story of panchtantra

Inspirational Hindi story सियार और शेर की कथा

The story of Jackal and Lion

     Inspirational Hindi story : किसी वन में महाचतुरक नाम का एक सियार रहता था | एक समय वन में एक मरा हुआ हाथी उसे मिला | उसके आसपास वह चक्कर मारने लगा, पर उसका मोटा चमड़ा वह चिर न सका | उसी समय इधर उधर घूमता हुआ कोई शेर वहाँ आ गया | उसे आया देखकर सियार ने जमीं से सिर लगाकर, हाथ जोड़कर और बड़ी नम्रता से उससे कहा, " स्वामी ! मैं आपका आज्ञाकारी सेवक हूँ | यहाँ ठहरकर आपके लिए इस मरे हुए हाथी की रखवाली कर रहा था | 
                                                                               Inspirational Hindi story
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Inspirational Hindi story of Lion and Jackal
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     उसकी नम्रता देखकर शेर ने कहा, "अरे ! दूसरे से मारा गया शिकार मैं कभी नहीं खाता | नहीं छिनता | मैं तो इस जंगल का राजा हूँ | हम कुलीन निति का रास्ता नहीं लांघते | जैसे हम मांस खाने वाले शेर भूखे रहने पर घास नहीं चरते | इसलिए मैंने यह मारा हाथी तुम्हे बक्श दिया | यह सुनकर सियार बोला, "खुदके सेवको पर ऐसी कृपा करना ठीक ही है | कहते है की,
बड़े लोग अपने पर कितना भी बड़ा संकट आये, फिर भी अपनी निति और चरित्र नहीं छोड़ते |


     शेर के जाने पर एक बाघ आया | उसे भी देखकर सियार ने सोचा " अरे ! उस बदमाश को तो मैंने खुशामद करके टाला फिर इसको कैसे टालू ? यह बलवान है, इसलिए बिना कपट के यह साधा नहीं जा सकता | कहा भी है, "जहाँ साम और दाम का प्रयोग न हो सके, वहाँ कपट करना चाहिए, क्योंकि वह लोगो को वश में ला सकता है | सब गुणों से भरे पुरे रहने पर भी मनुष्य कपट से बंध जाता है

     इस तरह सोचकर बाघ के सामने जाकर अभिमान से कंधो को ऊँचा करके सियार ने जल्दी से कहा, "मामा, आप क्यों मौत के मुँह में घुस आये ? इस हाथी को शेर ने मारा है | मुझे इसकी रखवाली करने में लगाकर वह नदी में नहाने गया है | जाते जाते उसने मुझे हुक्म दिया है, यदि कोई बाघ आए तो चुपके चुपके मुझे उसकी खबर देना, जिससे मैं यह जंगल बिना बाघ का कर दूंगा | इसके पहले एक बाघ ने मुझसे मारे गए एक हाथी को खाकर झूठा कर दिया था | उस दिन से मैं बाघों के प्रति बहुत नाराज हूँ | यह सुनकर डरे हुए बाघ ने कहा, "अरे भांजे ! मेरी जान बचा, तू शेर के आने से बहुत देर बाद तक भी मेरी बात मत कहना | यह कहकर वह भाग गया |

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     बाघ के चले जाने पर एक चीता आया | उसे भी देखकर सियार ने सोचा, "यह चीता मजबूत दांतो वाला है | इसके द्वारा हाथी का चमड़ा चीरे, ऐसा मैं करूँगा | यह सोचकर उसने चीते से कहा, "अरे भांजे तू बहोत दिनों बाद मिला है | तू भूखा सा लगता है | तू मेरा मेहमान है | शेर से मारा गया यह हाथी यहाँ पड़ा है | उसकी आज्ञा से मैं इसकी रखवाली कर रहा हूँ | जब तक शेर न आए इसी बीच तू इस हाथी का मांस खाकर और तृप्त होकर भाग जा |" 

     उसने कहा, "मामा, अगर यही बात है तो मुझे मांस खानेकी जरुरत नहीं है, क्यों की जीने पर तो सैकड़ो सुख मिलते है | इसलिए वही खाना चाहिए जो खाने लायक हो | इसलिए मैं यहाँ से भागता हूँ |" सियार ने कहा, " अरे बहोत अधीर न हो | तू निडर होकर खा, उसके आने की खबर मैं दूर से ही दे दूंगा |" उसके ऐसा कहने पर चीते ने हाथी के चमड़े को चीर दिया | चमड़ा चीरते ही सियार ने कहा, " अरे भांजे ! तू भाग, शेर आ गया |" यह सुनकर चीता जान बचाकर भागा |

     उसके किये हुए छेद से जब तक वह मांस खाये तब तक क्रोध से भरा हुआ एक दूसरा सियार वहाँ आ गया | उसे अपने बराबरी का जानकर पहले वाले सियार ने मन में कहा, "बड़े अच्छे लोगो से झुककर , वीर से भेदनीति अपनाकर, नीच को थोड़ा दान देकर और बराबर ताकत वाले को पराक्रम से जीतना चाहिए | 
बाद में उसने दूसरे सियार पर हमला किया और उससे लड़ाई करके अपने दातो से उसे फाड़ डाला | और बहुत दिनों तक हाथी का मांस खाता रहा |

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