पंचतंत्र कहानी Panchtantra kahani
लोहे का तराजू और बनिए की कथा
Moral story on greed
Moral story on greed : किसी नगर में विष्णु नाम का एक बनिया रहता था | अकाल की वजह से उसका सारा वैभव नष्ट हो गया | वह मन ही मन सोचने लगा जिस देश में अथवा स्थान में मैंने जहा वैभव और ऐश्वर्य को भोगा | उसी स्थान पर गरीबी की स्थिति में रहनेवालो का लोग मजाक उड़ाते है | उससे अच्छा है की, मैं दूसरे देस जाकेधन कमाऊ |
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उसके घर में पुश्तैनी लोहे का तराजू था | उसे किसी सेठ के घर जमा करके वह दूसरे देस चला गया | बहुत दिनों बाद विदेशों से धन कमाकर वह अपने शहर में लौट आया और सेठ से जाकर बोला, "अरे सेठ ! हमारी जमा की हुई तराजू तो दे दो |" सेठ ने कहा, " वह नहीं है | तेरी तराजू तो चूहे खा गए |
विष्णु बोला, "सेठ तुम्हारा इसमें कोई दोष नहीं है, अगर उसे चूहे खा गए | संसार ऐसा ही है इसमें कोई वस्तु हमेशा नहीं रहती| पर में नदी में नहाने जा रहा हूँ, इसलिए तुम अपने धनदेव नाम के लडके को नहाने का सामान देकर मेरे साथ भेज दो |
सेठ अपने सामान के चोरी होने के भय से अपने लडके को कहा, "बेटा ! ये तुम्हारे चाचा है | नहाने के लिए नदी पर जा रहे है | इसलिए तुम इनके साथ नहाने का सामान लेकर जाओ | ख़ुशी ख़ुशी उस सेठ का लड़का नहाने का सामान लेकर अतिथि के साथ चला गया | वह सेठ जान बुझकर अपने लड़के को साथ भेजा, ताकि विष्णु उसका सामान न चुरा ले जाये |
इसके बाद विष्णु बनिए ने स्नान करके उस लड़के को नदी किनारे एक गुफा में छिपा दिया | और उसका दरवाजा एक बड़े पत्थर से ढक कर जल्दीसे घर लौट आया | इस पर उस सेठ ने पूछा, "मेरा बेटा तुम्हारे साथ नदी पर गया था, वह कहाँ है |" विष्णु ने कहां, "नदी किनारे से उसे एक बाज झपट के उड़ा ले गया | सेठ ने कहां, "अरे झूठे ,कही बाज भी इतने बड़े बच्चे को उठा ले जा सकता है ? तू मेरे लडके को लौटा, नहीं तो में राज दरबार में फरियाद करूँगा |" उसने कहां, अरे जैसे बाज लड़के को उठा नहीं ले सकता, उस तरह चूहे भी १० किलो का लोहे का तराजू खा नहीं सकते |
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इस प्रकार लड़ते झगड़ते वे दोनों राज दरबार में पहुंचे | वहां सेठ ने ऊँची आवाज में चिल्लाकर कहां, "इस चोर ने मेरे लडके को चुरा लिया है |" इस पर धर्माधिकारी ने कहां, "अरे इस सेठ के लडके को तू लौटा दे |" विष्णु बनिए ने कहां, "मैं क्या करू, मेरे देखते देखते, नदी किनारे से बाज ने लड़के को झपट के उड़ा ले गया |" यह सुनकर सेठ ने कहां, "अरे, तू सच नहीं कहता, क्या बाज भी इतने बड़े बच्चे को उठा ले जाने में समर्थ हो सकता है ?"
फिर विष्णु ने कहां, " राजन जहाँ चूहे १० किलो का लोहे का तराजू खा सकते है, वहाँ अगर बाज बच्चे को उठा ले जाये इसमें क्या शक है ?"
तब धर्माधिकारी ने पूछा, " यह कैसे ?" इस पर बनिए ने सभी के सामने आदि से अंत तक सब बातें बता दी | तब धर्माधिकारी हसके बोले, "सेठ ये बात तो सही है |"सेठ को फिर अपनी गलती एहसास हुआ और विष्णु से माफ़ी मांगते हुए, उसने उसका तराजू लौटकर अपना पुत्र वापस पा लिया |
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