Panchtantra Moral Story एक प्रेरणादायक कहानी
हाथी और खरगोश
Elephant and Rabbit
एक बन में गजराज नाम एक हाथी रहता था | एक समय ऐसा आया की, वहाँ बहोत दिनों तक पानी नहीं बरसा | जिसकी वजह से तालाब, तलैया और सरोवर में पानी सुक गया | इस पर सब हाथियों ने गजराज से कहा, “महाराज ! प्यास से व्याकुल होकर हाथियों के बच्चे मरने के करीब आ गए है और कुछ मर भी चुके है | इसलिए आप कोई जलाशय खोज निकालिये ताकि हम सब मरने से बच सके | बाद में बहुत देर तक सोचने के बाद उसने कहा, “ यहाँ से ५० मैल दूर एक तालाब है वहाँ ज़मीन के अंदर के पानी से सदा भरा हुआ रहता है | इसलिए हम सब वहाँ जायेंगे | इस तरह दस रात चलने के बाद वे सब उस तालाब तक पहुंचे और उसके पानी में इच्छापूर्वक स्नान करने के बाद सूरज डूबने के समय निकले |
Inspirational story with moral
उस तालाब के किनारे खरगोशो की बहोत सारी बिले थी | इधर उधर भागते हुए हाथियों ने उस जगह को रौंद डाला | बहुत से खरगोशो के पाव, सर और गर्दन टूट गई | बहुत से मर गए और बहुत से मरने के करीब पहुँच गए |
बाद में हाथियों का वह झुंड चला गया| इस पर जिनकी बिले हाथियों के पैर से टूट गई थी | जिन कुछ के पैर टूट गए थे, जो कुछ लहू लुहान हो गए थे | और जिनकी मरने से आँखे आँसुओं से भरी थी, ऐसे खरगोश इकठ्ठे होकर आपस में सोचले लगे, "अरे ! हम सब मर गए ! हाथियों का यह झुंड रोज आएगा क्यों की और किसी स्थान पर पानी नहीं है | इसलिए हम सबका नाश हो जायेगा |
उनमे से एक खरगोश बोला, "और क्या हो सकता है | अपना ठिकाना छोडके जाये | इन बड़े हाथियों का हम क्या कर सकते है ?बाद में सब खरगोश बोले, " अरे ! बाप- दादो की जगह अचानक से छोड़ी नहीं जा सकती | इसलिए हाथियों को कोई ऐसा डर दिखलाना चाहिए, जिससे वे फिर यहाँ न आये | हमारे पूर्वजो ने कहा है की, विषहीन सर्प को भी बड़ा फन फैलाना चाहिए | जहर हो या न हो, पर फन का दिखावा करना चाहिए |
इसके बाद दुसरो ने कहा, "अगर ऐसी बात है तो उन्हें डराने के लिए एक ऐसा बड़ा उपाय है जिससे वे फिर यहाँ न आएंगे | पर भय पैदा करने वाला वह उपाय दूत से ही साध्य हो सकता है |
हम हाथी के पास अपना होशियार दूत भेजेंगे | वो हाथियों को बताएगा के हमारा राजा चाँद पे रहता है | और मैं उसका दूत हूँ | अब तुम इस तालाब के यहाँ आने से चन्द्रमा तुमसे रुष्ट हो गया है | क्यों की इस सरोवर के आस पास हमारा परिवार रहता है | ऐसी विश्वास योग्य बातों से शायद वह पीछे लौट जाये |" इतने में दूसरे ने कहा, "अगर ऐसी बात है तो चतुर नाम का खरगोश जो बातें बनाने वाला तथा दूत के काम में होशियार है | उसे ही वहाँ भेजना चाहिए | दूसरे खरगोशो ने कहा, "अरे ! यह ठीक ही है | हमें जीवित रहने के लिए कोई दूसरा उपाय नहीं है | ऐसा ही करो |
बाद में चतुर खरगोश को हाथियों के राजा गजराज के पास भेजने का निश्चय किया गया | इसके बाद चतुर नामक खरगोश ने हाथी के आने वाले मार्ग में ऐसी जगह पर, जहाँ हाथी की पहुँच नहीं हो सकती थी, वहाँ चढ़कर उसने गजराज से कहा, " अरे बदमाश हाथी ! इस तरह बिना शंका के खेलता हुआ तू इस चाँद के तालाब में किसलिए आया है ? तुझे यहाँ आना नहीं चाहिए | पीछे लौट जा |"यह सुनकर विस्मित होकर हाथी ने कहा, " अरे ! तू कौन है ?" उसने उत्तर दिया, " मैं विजयदत्त नामक खरगोश हूँ | और चाँद पे रहता हूँ | इसलिए भगवन चन्द्रमा ने मुझे तेरे पास दूत बनाकर भेजा है | तू जानता है की ठीक ठीक कहने वाले दूत का कोई दोष नहीं होता | राजाओ के मुख दूत ही है | शस्त्र निकाल लेने पर भी, बंधुओ के मरे जाने पर भी कठोर बोलने वाले दूत का राजा वध नहीं करता |"
यह सुनकर हाथी ने कहा, "अरे खरगोश ! भगवन चंद्र का संदेसा कह, उसका में शीग्र पालन करूँगा |" उसने कहा," कल तुम अपने झुंड के साथ यहाँ आकर तूने बहुत से खरगोशो को मारा है | क्या तू यह जानता नहीं की यह मेरे परिवार है ? अगर तू जीना चाहता है, तो किसी कारण से भी इस तालाब में न आना | हाथी ने कहा, " तेरे स्वामी भगवन चंद्र कहा है ? उसने उत्तर दिया, " तेरे झुंड द्वारा मरे गए और अधमरे खरगोशो को आश्वासन देने के लिए इस तालाब के अंदर जाके विराजमान है, और मुझे तेरे पास भेजा है |" हाथी ने कहा, " अगर यह बात ठीक है तो मुझ अपने स्वामी के दर्शन करा, जिससे उन्हें प्रणाम करके हम दूसरी जगह चले जायेंगे |"
खरगोश ने कहा, " अरे ! तू मेरे साथ अकेला आ, मैं उनका दर्शन करा दूंगा |" इसके बात रात के समय खरगोश ने उस हाथी को तालाब के किनारे ले जाकर जल में पड़ते हुए चन्द्रबिम्ब को बताकर कहा, "अरे ! मेरे स्वामी जल के अंदर समाधी में है, इसलिए तू शांतिपूर्वक प्रणाम करके चला जा, नहीं तो समाधिभंग होने पर उनका गुस्सा फिर से उबल पड़ेगा |
हाथी मन में डरकर उसे प्रणाम करके पीछे लौट जाने के लिए चल पड़ा | खरगोश भी उस दिन से अपने परिवार के सहित सुखपूर्वक उस जगह रहने लगे |
इस कथा से हमें यह सिख मिलती है की,
शक्ति से बड़ी बुद्धि होती है
कुछ काम बड़े लोगो का नाम लेने से ही हो जाती है |
अगर मिलकर सभी के परामर्शो को सुनकर निर्णय लिए जाये तो उसमे सफलता मिलती है |
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