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घमंडी हाथी | The story of Elephant and Sparrow

Moral story of panchtantra 

चिड़िया और हाथी

Elephant and sparrow

     किसी वन में चिड़िया का जोड़ा तमालवृक्ष में घोसला बनाकर रहता था | कुछ दिन बाद उस चिड़िया ने घोसले में अंडे दिए | एक दिन एक मतवाला हाथी गरमी से परेशान होकर उस तमाल वृक्ष के नीचे छाया के लिए आया | बाद में उस मतवाले हाथी ने जिस शाखा पर चिड़िया का घोसला था, उसे अपनी मस्ती में सूंड से तोड़ दिया | शाखा से टूटने से चिड़िया के अंडे नीचे जमीन पपर गिरकर टूट गए | चिड़िया का जोड़ा मगर नसीब से बच गया | पर अंडे टूट जाने के कारन चिड़िया बहोत रोने लगी | और बहोत दुखी हुई | 
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चिड़िया और हाथी

     उसका रोना सुनकर उसका परम मित्र कठफोड़वा उसके पास आकर कहने लगा, "चिड़िया रानी क्यों रो रही हो ? शास्त्रों में कहा ही है मरे हुए लोगो का , नष्ट हुए चीजों का बुद्धिमान लोग शोक नहीं किया करते | इस संसार में मृत्यु अटल है | जो मुर्ख उनका शोक करता है, वो हमेशा दुखी रहता है |

     चिड़िया ने कहा, " यह बात ठीक है, पर उस दुष्ट मतवाले हाथी ने मस्ती में मेरे अंडो का नाश किया | अगर तू मेरा सच्चा दोस्त है तो उस हाथी के मारने की तरकीब सोच | उस तरकीब को अपनाने से मेरे मन का दुःख हलका हो जाये कठफोड़वा बोला, चिड़िया रानी तुम ठीक कह रही हो | विपत्ति काल में जो दूसरी जाती का होते हुए भी मदद करे, वही मित्र होता है |

     तो चिड़िया रानी मेरी बुध्दि का प्रभाव देखिये | विनाखी नाम की एक मक्खी मेरे दोस्त है, उसे बुलाकर लाता हूँ| जिससे उस दुष्ट हाथी को मारा जा सके | बाद में चिड़िया को साथ लेकर वह मक्खी के पास जाकर बोला, " अरे मक्खी रानी यह चिड़िया मेरी परम मित्र है | किसी दुष्ट हाथी ने इसके अंडे फोड़कर इसे बड़ा दुःख दिया है | इसलिए उसे मारने के लिए हमें तेरी सहायता की जरुआत है | 

     मक्खी बोली, " इसमें कहने की क्या बात है | संकट और दुःख में ही दोस्त की असली परीक्षा होती है |मेरा भी मेघनाद नाम का मेंढक दोस्त है | उसे भी बुलाकर हम साथ मिलकर उस हाथी को मारेंगे |

     बाद में तीनों मेघनाद के पास जाकर, उसे सारी हकीकत बता दी | इस पर वह मेंढक बोला, " हम सब मिलकर लड़े, तो उस हाथी की गिनती | मैं जो बताता हूँ उस पर काम करेंगे | मक्खी,  तू दोपहर के समय जाकर उस मतवाले हाथी के कान में विणा की झंकार के जैसा गुनगुना | वह आवाज ध्यान से सुनने के लिए हाथी अपनी आंखे बंद करेगा | उस समय कठफोड़वे ने अपनी चोंच से हाथी की दोनों आंखे फोड़ देगा | अंधा हाथी प्यास से परेशान होगा और पानी की तलाश करेगा | तब में अपने परिवार के साथ एक गहते गड्ढे के पास बैठकर आवाज निकालूंगा | मेरी आवाज सुनकर वहाँ तालाब है, ऐसा समझकर वह अंधा हाथी पानी की तलाश में उस गड्ढे में आकर गिरेगा | और मर जायेगा | हमें इस प्रकार योजना बनानी चाहिए की, हमारा बैरी मर जाये |

     बाद में यही किया गया और दोपहर में मक्खी का गण सुनते हुए कान हाथी ने आंखे बंद कर ली | तभी हाथी की आंखे कढ़फोड़वे ने पीछे से आकर फोड़ डाली | और बाद में मेंढक की आवाज के पीछे जाता हुआ वह एक गड्ढे में गिर कर मर गया | 


इस कथा से हमें यह सिख मिलती है की१) मरे हुए लोगो, नाश हुए चीजों का शोक करते बैठना  इंसान को और दुखी बनता है|२) विपत्ति में ,दुःख में जो काम आये वही सच्चा दोस्त है |३) अगर मिलकर लढा जाये तो बड़ी से बड़ी जंग जीती जा सकती है |

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