Hindi moral story of Panchtantra
सूचिमुख पंछी और बन्दर
Hindi moral story of monkey and bird
Hindi moral story : एक जंगल में पर्वतो के बीच बंदरो का झुंड रहता था | एक बार हेमंत ऋतु में ठंडी हवाओ से उनका शरीर काप रहा था | थोड़ी देर बाद बारिश भी गिरने लगी | पानी के बौछारों के वजह से वह बंदरो का झुंड इधर उधर भाग रहा था | बारिश के वजह से एक ही जगह न रहकर वह झुंड जंगल में भटक रहे थे |
Bandar
aur Panchhi
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तब उनमेसे एक बुड्ढा बन्दर बोला, "अरे मुख पंछी! तुम्हे हमसे क्या करना है | तू इधर से चला जा | शास्त्रों में कहा है जुए में हारा हुआ और जिसके काममें
बार बार विघ्न आता हो, ऐसो से बुद्धिमान मनुष्य को झगड़ा या चर्चा नहीं करनी
चाहिए | उसी तरह शिकार न मिलने वजह से परेशान शिकारी और जो मुर्ख को
उपदेश करता है उसका विनाश निश्चित है |
वह पंछी भी बुड्ढे बन्दर को अनसुना करते हुए दूसरे बंदरो से कहने लगा, "उन घुमचिया से तुम्हे गरमी नहीं मिलेगी | और उन्हें वह बार बार वही समझा रहा था | उस पंछी की बकबक रुक नहीं रही है यह देखकर एक परेशान और गुस्सेवाला बन्दर ने लपक के उस पंछी को पकड़ लिए और जोर से पत्थर पर पटक के मार दिया |
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