Tale of Panchtantra
तीन मछलिया
The Three Fishes
Tale of Three Fishes |
मगर एक बार उस तरफ से जाते हुए मछलीमारों ने उस तालाब को देख लिया | और आपस में कहने लगे यह तालाब तो मछलियों से भरा पड़ा है | आज तक हमें इसे कैसे नहीं देखा ? आज तो हमें अपना भोजन भी मिला है | अभी तो संध्या हो गई है | इसलिए सवेरे होते ही हम यहाँ जरूर आएंगे |
यह बात वर्तमान नाम की मछली ने सुन ली | उसने सब मछलियों को बुलाकर यह कहा, "अरे क्या आप लोगो ने मछिमारो की बात सुनी ? इसलिए हम सभी सबेरा होने से पहले किसी निकट के तालाब में चले जायेंगे |” यह सुनकर भविष्य नाम की मछली ने कहा "यह बात बराबर है | मुझे भी यही लग रहा है | जरूर ही सवेरे मछली मार आकर सब मछलियों को मारेंगे यह मेरा विश्वास है | कमजोर मनुष्यो को बलवान शत्रुओ से दूर भागना चाहिए, या अपने सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिए | इसलिए यहाँ पर रहना हमारे लिए ठीक नहीं है | मछवारों से हमारा मुकाबला भी नहीं हो सकता है | और शास्त्रों में कहा ही है की, परदेस जाने से डरने वाले कपटी, कौए , पागल और मृग अपने ही देश मैं मरते है |
यह सब सुनकर जोरो से हसती हुई भूत नाम की मछली बोली, " तुमने जो सोचा है वह ठीक बात नहीं है | केवल मछलीमारों की बात से हम अपना बाप दादाओ का यह तालाब छोड़ देना ठीक नहीं है | यह हमारा घर है | हम यहाँ बचपन से खेलते आ रहे है | अगर हमारी मौत आ ही गयी है तो दूसरी जगह जाने पर भी हमें मरना ही पड़ेगा | कहा ही है की, "अरक्षित भी अगर दैवसे रक्षित है तो वह बचता है | और सुरक्षित भी भाग्य का मारा हुआ है तो वह नष्ट हो जाता है | इसलिए में यही रहूँगा और कही नहीं जाऊंगा | आप लोगो को जैसा सूझे, वैसा ही कीजिये |”
उसका यह निश्चय देखकर वर्तमान और भविष्य नाम की मछलियों ने अपने परिवारो के साथ चले गये | सवेरे उन मछली मारो ने जालों की मदत से तालाब एक एक कोना ढूंढकर भूत नाम की मछली समेत बाकि सभी मछलिओं पकड़ लिया |
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