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Moral Hindi stories दोनों की लड़ाई में तीसरे का लाभ |

Moral Hindi stories

चिड़िया और खरगोश

Moral Hindi story of sparrow and rabbit

 Moral hindi storiesप्राचीन कल में घने जंगल के बड़े से पेड़ के खोखले में एक चिड़िया रहती थी | एक बार चिड़िया खाने की तलाश में अन्य चिडियो के साथ दूर किसी खेत में गयी | बहोत दिनों तक वह चिड़िया अपने घर नहीं लौटी | दिन पर दिन बितते गए | मगर वह चिड़िया अपने घर नहीं लौटी | एक दिन एक खरगोश सूरज डूबने के समय उस चिड़िया के खोखल में घुस गया | और वही पे अपना डेरा जमके वहाँ रहने लगा | बाद में एक दिन धान खाके पुष्ट शरीर वाली चिड़िया घोसले के याद आने पर वापस लौट आयी | 

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Moral Hindi stories of Rabbit and sparrow

     खोखले में रहते हुए खरगोश को देखकर उसने तिरस्कार से कहा, " अरे ! यह तो मेरा घर है | तू जल्दी बाहर निकल |" खरगोश ने जवाब दिया, " यह तेरा घर नहीं है, मेरा है | किसलिए तू मुझसे झगड़ा कर रहा है | बावड़ी, कुंआ, तालाब तथा वृक्षों को एक बार छोड़ देने पर पुनः उसके ऊपर मिलकियत कायम नहीं की जा सकती |

     चिड़िया बोली, "अगर कोई किसी के सामने कई सालो तक खेत इत्यादि भोगता है तो उसका भोगना ही उसकी मिलकियत का प्रमाण है |

     खरगोश बोला, " यह न्याय मनुष्यो के लिए मुनियो ने कहा है | पशु और पक्षियों के बारे में जब तक उनका जहाँ अड्डा हो तब तक ही उनकी वहाँ मिलकियत है | इसलिए यह घर मेरा है , तेरा नहीं |"

     इस पर चिड़िया बोली, " अगर तुम धर्म शास्त्र प्रमाण मानता है, तो मेरे साथ चल, हम दोनों किसी धर्म पंडित से पूछ लेते है | वह इस खोखले को जिसे दे, उसे लेना चाहिए |' उन दोनों के इस प्रकार समझौता कर लिया |

     इस बीच में एक जंगली बिल्ला उनकी लड़ाई सुनकर रस्ते में आया | नदी किनारे पहुंचकर साधु की तरह एक पैर पे खड़ा रहकर दोनों हातो को ऊपर जोड़कर, सूरज की तरफ देखकर जप करने लगा |

     जैसे ही खरगोश और चिड़िया उस बिल्ले की तरफ बढे , वह बिल्ला आंखे खोलकर कहने लगा, " अरे यह संसार किसी काम का नहीं, जिंदगी तो कुछ पलो की है, इसलिए धर्म में शिव के अलावा जिंदगी का कोई और लक्ष्य नहीं होना चाहिए | शरीर अनित्य है, मृत्यु नित्य पास है | इसलिए पुण्य का संचय करना चाहिए | जो पुण्य का संचय नहीं करते, हमेशा हिंसा और पाप में लिप्त रहते है, वो नरक के वासी हो जाते है |"

     उसकी यह बातें सुनकर खरगोश बोला, "अरे चिड़िया ! यह तपस्वी साधु नदी किनारे बैठा है | इससे जाकर हमें पूछना चाहिए | चिड़िया ने कहा, ''ठीक है , पर यह स्वाभाव से ही हमारा दुश्मन है, इसलिए दूर रहकर हमें पूछना चाहिए | कदाचित उसका व्रत न टूट जाये |

     बाद में दूर खड़े रहकर वे दोनों बोले, " हे तपस्वी हम दोनों के बीच झगड़ा हुआ है, इसलिए धर्म के अनुसार उसका आप फैसला करो | जो झूठ कहने वाला हो उसे तुम खा जाओ |"

     उस बिल्ले ने कहा, " ऐसा न कहो ! नरक के रस्ते जैसे हिंसक काम से मैं विरक्त हो गया हूँ | अहिंसा ही धर्म का मार्ग है | इसलिए खटमल, जू, डांस अदि की भी हिंसा नहीं करनी चाहिए | जो हिंसा करता है, वह घोर नरक में पड़ता है | इसलिए मैं तुम्हे नहीं खाऊंगा | पर तुम्हारी हार जीत का फैसला मैं करूँगा |

     लेकिन बूढ़ा होने के कारन मैं दूर से ठीक ठीक नहीं सुन सकता | इसलिए मेरे पास आकर अपनी फरियाद कहो, जिससे विवाद का कारन जानकर मैं उसका सही फैसला दूंगा | इसलिए तुम मेरा विश्वास करके अपनी लड़ाई के बारे में मेरे कानो में कहो |"

     उन दोनों ने उस बिल्ले पर इतनी जल्दी भरोसा करके उसके गोद में जाके बैठ गए | बाद में उसने एक को अपने पंजे से और दूसरे को अपने दातो से पकड़ लिया | एक को अपने दातो से फाड् दिया | इस तरह उसने दोनों को जान से मारकर अपना भोजन बना लिया |


हम जब बच्चो को ऐसी शिक्षाप्रद कहानिया ( Moral Hindi stories )  सुनाते है, तब बच्चोके मन की घडण भी उसी तरह की होती है | इस कथा से हमें यह सीखने को मिलता है की,
अपने शत्रु की मीठी बातों पे कभी भरोसा नहीं करना चाहिए |
न्याय की पुकार उचित व्यक्ति से ही करनी चाहिए |

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