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लालची ब्राह्मण पुत्र | Hindi story on greed

 Hindi story on greed of Brahman 

ब्राह्मण और नागदेवता

Hindi story on greed

 Hindi story on greed : किसी नगर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण रहता था | उसके खेती करने पर भी उससे कोई नतीजा नहीं निकलता था | और इसी तरह उसका समय बीतता गया | एक दिन वह ब्राह्मण धुप में पसीना पसीना होने पर  अपने ही खेत के बड़े से पेड़ के नीचे सो गया | नजदीक ही सांप की बांबी थी | जब वो सो के उठा तो ,उसने बांबी के बाहर फैन फैलाये एक भयंकर सांप को देखा | और सोचने लगा, " जरूर यह नाग इस क्षेत्र का ( खेत का ) देवता है, जिसकी मैंने कभी पूजा ही नहीं की| इसी वजह मेरी खेती ख़राब हो रही है |मैं फ़ौरन अब इसकी पूजा करूँगा |"
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Greedy son
     यह सोचकर उसने कही से दूध भीख मांग लिया और उसे कटोरे में रखकर बांबी के पास रखते हुए कहा, " हे क्षेत्रपाल ! मुझे अबतक नहीं मालूम था की आप यही रहते है इससे मैंने आपकी पूजा नहीं की| आप मुझे शमा करे |" यह कहकर और दूध का भोग लगाकर वह अपने घर की और चल पड़ा | जब सवेरे लौटकर देखा तो कटोरे में एक सोनेकी मोहर दिखाई पड़ी | 

     इस तरह वह हर दिन अकेला जाकर सांप को दूध देता था और एक मोहर लेता था | किसी दिन बांबी पर दूध ले जाने के काम अपने लडके को लगाकर ब्राह्मण गांव के बाहर चला गया | उसका पुत्र भी वहां दूध ले जाकर फिर घर वापस लौट आया | 

     दूसरे दिन वह लड़का बांबी के पास गया | तब वहाँ उसे एक सोने का दीनार दिखाई दिया | वह सोने का दीनार लेके उसने सोचा | " निश्चित ही यह बांबी सोने के मुहरों से भरी पड़ी है | इसलिए मैं इस नाग को मरकर एक बार ही सब मोहरे ले लूंगा | इस तरह सोचके दूसरे दिन दूध देते हुए ब्राह्मण के लडके ने सांप के सर पर लाठी मरी | भाग्य के कारन वह नाग किसी तरह बच गया, पर गुस्से से विषैले दांतो से उसने ब्राह्मण के लडके ने काट लिया | जिससे वह फ़ौरन मर गया | रिश्तेदारों ने खेत के पास की लकडिया इक्कठी करके उसे जला दिया | 

     अगले दिन उसका पिता वापस आया और रिश्तेदारों से अपने लडके के मरने का कारन पूँछा, तब ब्राह्मण बोला, " जो अपने शरण में आये हुए प्राणियों पर कृपा नहीं करता, उसका सर्वनाश और नुकसान होता ही है |

     उसके अगले दिन ब्राह्मण दूध लेकर बांबी पे पास गया | और वहाँ ऊँची आवाज से नागदेवता से विनती करने लगा | इस पर बांबी से बाहर आकर नागदेवता ने ब्राह्मण से कहा, " लालच से तुम अपने लडके का शोक भूलकर यहाँ आये हो | इसके बाद हमारे तुम्हारे बीच की प्रीति ठीक नहीं है | तुम्हारे लडके ने जवानी के घमंड में मुझे मारा और मैंने उसे काट लिया | उस डंडे की मर को मैं कैसे भूल सकता हूँ और तुम भी अपने लडके की मृत्यु कैसे भूल सकते हो ?"  यह कहकर उसे एक बेशकीमती हिरा देकर ' इसके बाद तुम फिर यहाँ कभी मत आना ' यह कहकर नागदेवता बिल में घुस गया | ब्राह्मण भी हिरा लेकर अपने लडके की मूर्खता की निंदा करते हुए घर लौट गया |


     इस कथा से हमें यह सीख मिलती है की, " लालच में कभी कभी इंसान अपनी कीमती चीज भी खो देता है | एक बार विश्वासघात होने पर टूटी हुई मित्रता जुड़ नहीं सकती | नहीं उस मित्रता को फिर से जोड़ना  चाहिए |

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