Hindi moral story
Hindi moral story on foolishness
Foolish three friends
पुस्तकी ज्ञान
Foolish Friends |
कुछ रास्ता चलने के बाद उनमे से सबसे बड़े ने कहा, " हमें चारो में से चौथे को विद्या का ज्ञान नहीं है, मगर वह सिर्फ व्यवहार ज्ञान में कुशल है | विद्या बिना राजा से कोई काम नहीं मिलता | इसलिए हम अपने कमाए धन से इसे कुछ न देंगे | इसलिए उसने घर जाना ठीक होगा |" इस पर दूसरे ने कहा, "हे व्यवहारकुशल, तू अपने घर लौट जा | तुम्हारे पास विद्या कहा है ? इस पर तीसरे ने कहा, " ऐसा करना ठीक नहीं है | हम सब बचपन से ही एक साथ खेले कूदे है | इसलिए उसे साथ चलने दो , हमारे कमाए धन में वह बराबर का हिस्सेदार होगा |"
इस तरह चलने पर जंगल में रास्ते पर उन्होंने शेर की हड्डिया पड़ी देखी | इस पर एक बोला, "आज में अपनी विद्या की ताकत आजमाऊँगा | यह जीव मरा पड़ा है, अपनी विद्या के प्रभाव से हम इसे जिन्दा कर देंगे | मैं उसकी हड्डिया एक कर देता हूँ |" ऐसा बोलके उसने हड्ड़ियोका ढांचा बना दिया | दूसरे ने हड्डियों के आसपास चमड़ा, मांस, और लहू पैदा किया |
जब तीसरा उसमे जान फूंकने जा रहा था, तभी चौथे व्यवहार कुशल ब्राह्मण ने कहा, " अरे ठहर ! तू कहता है यह शेर बनने जा रा रहा है | अगर तू इसे जिन्दा कर देगा | तो वह सबको मार डालेगा |" उसने जवाब दिया, " धिक्कार है तुझपर, मुर्ख ! मैं अपनी विद्या को विफल कैसे कर सकता हूँ ?
इस पर उस चौथे ब्राह्मण ने कहा, " फिर मेरे पेड़ पर चढाने तक ठहर | बादमे तुझे जो चाहे वह कर |"जब चौथा पेड़ पर चढ़ गया, तब शेर में जान डाली गयी | शेर ने उठकर तीनो को मार डाला | और चौथा ब्राह्मण शेर वहाँ से चले जाने के बाद नीचे उतरकर अपने घर चला गया |
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