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श्रीराम ने रावण के वध का प्रायश्चित क्यों किया ? why rama did penance after killing ravana?

राम का प्रायश्चित रावण वध के लिए | 

Rama's atonement for Ravana's slaughter in ramayan


rama's penance
rama killed ravana
           
           
       रावण का वध करने के पश्च्यात राम सीता माँ को लेकर अयोध्या वापस आये| अयोध्या वापस आते राम तय करते है मैं वापस राज्यमें नहीं जाऊंगा| हिमालय में जाकर अगस्त मुनि के गुफा में कुछ समय बिताना चाहता हु|  ताकी अपने हात हुए पाप का प्रायश्चित कर सकू| मैंने एक ऐसे व्यक्ति की हत्या की, जो धर्मपरायण था| शिव का महान भक्त था| बहोत बड़ा ज्ञानी था| एक महान राजा था| एक दयालु व्यक्ति था|

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लक्षण, हनुमान और बाकि सब आप्तगण राम की यह बात सुनकर हैरान हो गए| उनके छोटे भाई लक्ष्मण बोले " आप यह क्या बात कर रहे है? रावण ने आपके पत्नी का अपहरण किया था|" राम ने लक्ष्मण से कहा "वह दूसरे नौ सिरोंका काम था| उसके नौ सिरोंमे लालच, जलन, वासना वैगेरे भरे थे| वह एक सर ऐसा था, जिसमे ज्ञान, विवेक,धार्मिकता और भक्ति थी| मुझे अफ़सोस है उस सिर को काटने का| मेरा बस चलता तो मैं उस सर को छोड़ देता| रावण को मारता नहीं| मगर ऐसा करने का कोई तरीका नहीं था| तो उसे मारना पड़ा| मुझे अब पछतावा हो रहा है, उस एक सिर को कटाने का|"

राम एक ऐसे इंसान की हत्या का प्रायश्चित कर रहे थे, जिसने उनकी पत्नी का अपहरण किया| और बहुत से बुरे काम किये| लेकिन श्रीराम अब भी इस बात को पहचान रहे थे, कि उसका एक सिर था जो बहुत ही सुन्दर था| मुझे उसे नहीं काटना चाहिए था|

दोस्तों आप यह सोच रहे होंगे क्या ये मूर्खता और बेवखूफ़ी है| मगर भगवन श्रीराम हमें यह सिखाते है, हर एक इंसान में बुराई नहीं अच्छाई भी देखनी चाहिए| गुलाब के पौधे में काटे ज्यादा और गुलाब कम होते है| फिर भी हम उसे काटों का पौधा नहीं, गुलाब का पौधा कहते है| आम के पेड़ पर आम साल में कुछ ही माह आते है| और वह आम के पत्तों से कम होते है| आम के पत्ते कड़वे होते है| फिर भी हम उसे कड़वे पत्तों का पेड़ नहीं कहते आम का पेड़ कहते है|

प्रभु श्रीराम की इसी महानता की वजह से आज भी सहस्त्र वर्षो पश्च्यात उनकी पूजा की जाती है|

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