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रावण ने मरते वक़्त लक्ष्मण को बताई थी ये बड़े काम की तीन बातें | Ravana told lakshman 3 secrets of life.

 मरते वक्त रावण ने लक्ष्मण को बताई थी ये ३ महत्वपूर्ण बातें| 

Dying Ravana told lakshman 3 secrets

   रावण वध के पश्च्यात श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा "जाओ रावण के इस आखरी घडी में उससे कुछ जीवन के मुलभुत सिंद्धांत सीख के आओ|" लक्ष्मण न चाहते हुए भी रावण के पास गए| रावण के सिरहाने वो खड़े हो गए| रावण की तरफ उन्होंने देखा| रावण ने उनसे कुछ नहीं कहा| और लक्ष्मण वहाँ से निकलकर राम के पास गए| और बोले "जिस व्यक्ति ने आपकी पत्नी का अपहरण किया उस व्यक्ति से कुछ सीखने के लिए आपने मुझे भेजामैं आपकी आज्ञा के पालन हेतु रावण के पास गयाउसने मुझसे कुछ कहा ही नहीं| और मुझे पूरी तरह नजरअंदाज किया| अब भी उसका अहंकार नहीं मिटा|"



       
राम बोले लक्ष्मण मेरे अनुज, रावण अभी मृत्यु के निकट है| उसका सारा अहंकार चला गया है| हम विजयी हो चुके है| अब उसके प्रति नफरत मन में रखने से कोई लाभ नहीं| अहंकार रावण में नहीं तुम मे है| तुम में विजय का अहंकार है| तुम उसके सिरहाने आदेश की मुद्रा में खड़े थे| और किसीसे कुछ सीखना हो,तो तुम उससे कुछ पाना चाहते हो| तो पाने वाले को विनम्रता के साथ देने वाले के पैरो के नजदीक विद्यार्थी मुद्रा में बैठना चाहिएउसकी तमाम बुराइयों के बावजूद रावण शिव का महान भक्त थाबहोत बड़ा ज्ञानी थाएक महान राजा था| रावण में ज्ञान, विवेक और भक्ति का भी एक पहलू था| 

लक्ष्मण फिर रावण के पास गए| और उसके पैरो के नजदीक एक विधार्थी की तरह बैठे और रावण से  जीवन का ज्ञान साजा करने को बोले| 
 रावण ने लक्ष्मण से कहा "हे लक्ष्मण मैं आज तुम्हे जीवन की ३ महत्त्वपूर्ण बातें बताता हूँ, जो सफलता की पूंजी है|"


१) शुभस्य शीग्रम - शुभ कार्य जीतनी जल्दी हो सके करना| क्या पता आगे वही शुभ कार्य करने का मौका मिले या न मिले| और परिस्थिति हर समय हमारे पक्ष में नहीं रहती| राम जब मेरे पास अपने दूत भेजते थे, तब मैंने उनपर विचार करके अमल कर देना चाहिए था| 

२)अपने शत्रु को कभी कम मत आंकना|  मैंने ब्रह्मा से वरदान माँगते वक्त मनुष्य और वानर छोड़कर मेरा कोई और वध ना सके, ऐसा वरदान माँगा| मैं मनुष्य और वानर को तुच्छ समजता था| यही मेरी सबसे बड़ी भूल थी| बाली ने जब मुझे हराया तभी मुझे यह बात समज जानी चाहिए थी| 

३) अपने जीवन का राज कभी किसीको भी मत बताना| मैंने अपने जीवन का राज विभीषण को बताया की, मेरा जीवन मेरे नाभि मैं स्थित है| और इसी वजह से आज मैं यहाँ पर लेटा हूँ| 


दोस्तों, हमें इस घटना से यह सीख मिलती है की, देव या दानव हो, हर किसीसे कुछ न कुछ सीखने जैसा होता है|  हर किसीमे कुछ न कुछ अच्छाई होती ही है| इस संसार में ऐसा कोई इन्सान है ही नहीं, जो पूरी तरह बुरा हो | 


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