ऐसी क्या अहम बात है जो राम को भगवान श्रीराम बनाती है ?
one important life lesson from ramayan that makes Ram a god
राम का जीवन दुर्घटनाओ का निरंतर सिलसिला है| उनका जन्म एक राजकुमार के रूप में हुआ| भावी राजा के रूप में राज्याभिषेक हुआ| उनकी शादी जनक पुत्री सीता से हुई| लेकिन कुछ राजनैतिक कारणोंसे उन्हें जंगल जाना पड़ता है| १४ वर्ष वनवास भुगतने के लिए | जंगल में रहना, टीवी सीरियल में रोमांटिक जीवन की तरह दिखाते है| एक युवा पत्नी जो आदिवासी महिला नहीं है, बल्कि एक राजकुमारी है| उनके साथ जंगल में रहना कोई रोमांस भरा जीवन नहीं था| बल्कि बहोत ही कठिन जीवन था| ये जानते हुए ,ये जीवन कितना कठिन होगा उनके छोटे भाई लक्ष्मण उनकी मदद के लिए उनके साथ जंगल में चले गए|
आगे उनकी पत्नी का
अपहरण हो जाता है| माँ सीता को ढूंढने
के लिए श्रीराम श्रीलंका तक पैदल ही पूरा सफर तय करते है| शरू में उनको यह भी नहीं पता था की उनकी
पत्नी जीवित है, या मर चुकी है, या फिर किस दशा में है| वो वानरों की फ़ौज तैयार करते है| वो समुद्र पार करते है| एक
सुन्दर शहर को जलाकर राख कर देते है| बहोत सारे लोंगो को मार डालते है| अपनी पत्नी को वापस लेकर घर लौटते है| उसके उपरांत उनकी पत्नी गर्भवती होती है| और फिर एक बार कुछ राजनैतिक कारणोंसे वो
अपनी गर्भवती पत्नी को जंगल में छोड़ देते है|
सीता
माँ वहाँ जाकर दो पुत्रों को जन्म देती है| राम को यह पता ही
नहीं चलता| फिर बादमे श्रीराम
अपने ही पुत्रों के साथ युद्ध लड़ते है| उन्होंने अपने ही
बच्चो को लगभग मार ही दिया था| लेकिन भाग्यके कारन
राम के पुत्र बच गए| उन्होंने अपने ही
पुत्रों को मारनेकी की पूरी कोशिश की थी, बिना ये जाने ये
दोनों कौन है| उसके बाद सीता माँ
दोबारा उन्हें देखे बिना अपने प्राण त्याग देती है|
क्या दोस्तों आप इसे सफल जीवन कहेंगे ? लेकिन फिर भी हम उनकी पूजा क्यों करते है? why should we worship lord rama?
राम के जीवन की एक भी घटना इंसान के
जीवन घट जाये, तो अधिकतर इंसान टूट
जायेंगे| अपना मानसिक संतुलन
भी खो देंगे| मगर चाहे जो भी
दुर्घटना हुई हो, प्रभु श्रीराम ने कभी गुस्सा नहीं किया| कभी नफरत नहीं की| उन्होंने कभी अपना सयंम नहीं खोया| उन्होंने अपना संतुलन १०० % बनाये रखा| उन्होंने अपने जीवन के सिद्धांतो और
मूल्यों का त्याग कभी नहीं किया| उनके जीवन में
मुसीबते बराबर आती रही| लेकिन हमेशा स्थिर और
परिस्थितिसे अछूते बने रहे| राम ने अपने भीतर की
प्रकृति कभी बदलने नहीं दिया| इन्ही गुणोंके वजह से
आज भी हम सहस्त्र वर्षो बाद भी उनके सामने सर झुकाते है| आज भी वह पूजनीय है| और जबतक मानव संस्कृति जीवित रहेगी तबतक
उनकी पूजा होती रहेगी|
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