why krishna didn't marry radha?भगवान कृष्ण ने कभी राधा से विवाह क्यों नहीं किया?
why krishna didn't marry radha?भगवान कृष्ण ने कभी राधा से विवाह क्यों नहीं किया?
जब भी में daily Soap देखता था, तो यह सवाल मेरे मन में आ जाता था |शो में कान्हा के जीवन में होनेवाली घटनाओ किस भी तरह से, या कोई भी कारन बताकर सही ठहराया जाता है | घटनाओ को सही ठहरना गलत नहीं है, मगर तथ्योंको को तोड़ मरोड़कर पेश करना गलत है | लेकिन मेरे विपरीत आपने भी इस तथ्य के बारे में सोचा होगा की, उन्होंने राधा के बजाय रुक्मिणी से शादी क्यों की? ( why krishna didnt marry radha ?)
उन्होंने अपने जीवन काल में ८ शादियाँ की | और १६००० स्त्रियों को मान सन्मान से जीने के लिए उनको अपनी
पत्नी के रूप में स्वीकार किया | फिर राधा उनमेसे एक क्यों नहीं
है |इस पर संशोधन करने पर अलग अलग जवाब मिलते है |
लेख के अनुसार राधा कृष्ण का प्रेम बचपन का था | राधा को यह एहसास था की, कृष्ण परमेश्वर है| और परमेश्वर की तो पूजा होती है | लेकिन उनसे शादी नहीं होती | कुछ लेख के अनुसार राधा एक ग्वालन थी और कृष्ण एक राजा थे| इसलिए उनका मिलाप नहीं हो पाया | और राधा कृष्ण से ५ साल बड़ी थी | कुछ लेख के अनुसार कृष्ण को अपने जीवन का असली ध्येय, मक़सद समज आया था | इसलिए कृष्ण ने शादी से इंकार कर
दिया |
आइये दोस्तों जानते है इसके बारे में सच्चाई
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जब कृष्ण एक छोटे लड़के थे, तो वह गोकुल के नदी किनारे जाते
थे | और गायों को चराने के लिए
बासुरी बजाते थे | राधा का बचपन कभी मथुरा में
नहीं बिता था | राधा शादी करके मथुरा अपने
ससुराल आयी थी | जब राधा ने बासुरी की मधुर आवाज
सुनी, तभी राधा उस आवाज से मंत्रमुग्ध
होकर कान्हा के पास गयी | वही उनकी पहली मुलाकात थी | राधा की शादी अभिमन्यु ( महाभारत के नहीं ) से हुई थी |
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|
कृष्ण राधा को अपनी प्रेयसी नहीं बल्कि सखी कहते थे | बिना शर्त प्यार जो दोनों को एक दूसरे से था, वह कुछ ऐसा था | जो हम कभी भी,किसी भी पीढ़ी में नहीं पाते है | उनका एक दूसरे के प्रति जो शाश्वत प्रेम था | वो वासना और शारारिक प्यार से परे था | राधा को यह एहसास था, की कृष्ण आम आदमी नहीं है | और राधा का कृष्ण के प्रति प्यार, एक भक्त का भगवान के प्रति होता है , वैसा ही था | राधा ग्वालन थी, पांच साल बड़ी थी, यह कोई कारन नहीं थे इसके पीछे |
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इस
आधुनिक समाज में एक लड़का और लड़की का शारारिक सम्बन्ध से परे एक दूसरे के प्रति
इतना गहरा प्यार बिना किसी शर्त और अपेक्षा से हो सकता है | यह बात हमारे ध्यान में नहीं आती है |
इसलिए आज भी मंदिरो में राधा कृष्ण की मुर्तिया है | कृष्ण और रुक्मिणी की नहीं | शायद ही किसी मंदिर में कृष्ण और रुक्मिणी की एक साथ मुर्तिया हो | आज भी हम राधेकृष्ण का जाप करते है न की रुक्मिणी कृष्ण का |
1 टिप्पणियाँ
बहुत खूब.
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