Recent Posts

सबसे बडा मूर्ख | एक बुनकर कि कथा | Foolish Weaver

Panchatantra stories in hindi


बुनकर और अप्सरा

Hindi story on Weaver


     किसी शहर में मंथर नाम का बुनकर रहता था एक बार कपडे बुनते हुएउसका कपडे बुनने का यन्त्र जो लकड़ी का थावह टूट गया इस पर वह कुल्हाड़ी लेकर जंगल मेंउस यन्त्र को बनाने के लिए अच्छी सी लकड़ी ढूंढने गया घूमते हुए वह समुन्दर किनारे जा पहुँचा वहाँ उसने एक शिंशपा का पेड़ देखा |  इस पर वह सोचने लगा, " यह बड़ा पेड़ दिख पड़ता हैइसके कटाने से बुनने के बहुत से सामान बन जायेंगे यह सोचकर उसने उस पेड़ पर कुल्हाड़ी चला दी |”

panchatantra stories in hindi, Hindi kahani, Panchtantra, Hindi stories

Hindi story on Weaver


     उस पेड़ पर एक अप्सरा रह रही थी उसने बुनकर से कहा, " अरे ! मैंने इस पेड़ का आश्रय लिया है समुंदर की तरंगो को छूती हवा के झोंको का आनंद लेकर मैं यहाँ बड़े सुख से रहती हूँ |" 
     
     बुनकर ने कहा, "अब मैं क्या करू बिना इस लकड़ी के मैं मेरा बुनने का सामान नहीं बना सकता और ऐसा हुआ तो मेरे बच्चे भूखे मर जायेंगे इसलिए आप कही दूसरी और जाईये मैं तो इस पेड़ को काटूंगा |" देवता ने कहा, " मैं तुज़से प्रसन्न हूँ अपना मन चाहा वर मांग लो और इस पेड़ को छोड़ दो |बुनकर ने कहाअगर यह बात हैतो घर जाकर मैं अपने मित्रो और स्त्री से सलाह लेकर लौट आऊंगा |"  देवता ने कहा, " ठीक हैऐसा की करो |" 
     
     बुनकर ख़ुशी ख़ुशी अपने घर की तरफ निकला आगे चलकर गांव में घुसते हुए अपने मित्र नाई को देखा और उससे देवता की बात कही, " अरे मेरे दोस्त ! मुझे कोई देवता सिद्ध हो गई है बता उससे मैं क्या मांगू मैं यह तुज़से पूछने आया हूँ नाई ने कहा, " अगर ऐसी बात है तो उससे तू राज्य मांग जिससे तू राजा हो और मैं तेरा मंत्री हम दोनों का गरीबी से कोई नाता ही नहीं रहेगा और हमारी कीर्ति भी बढ़ेगी यह बात ठीक हैफिर भी मैं अपनी पत्नी से पूंछता हूँ उसपर उस दोस्त ने कहातुम्हारी पत्नी तो पढ़ी लिखी नहीं है उसका सारा जीवन संसार चुले चौके की बिच ही गुजरा है इसलिए नहीं उसे व्यवहार ज्ञान की समज है उससे अच्छा तो अपनी पढ़ी लिखी बेटी से पूँछ |बुनकर ने कहा, " फिर भी मुझे उससे पूंछना चाहिएवह पतिव्रता है और बिना उसे पूछे मैं कुछ नहीं करता |"

     यह कहकर जल्दी से जाकर उसने अपनी पत्नी से कहा, "प्रिये ! आज मुझ पर एक अप्सरा देवता प्रसन्न हुई है उसने मुझे मन चाहा वरदान मांगने को कहा मैं तुज़से पूंछता हूँ की उससे क्या वर मांगू मेरे मित्र नाई ने कहा है कीमैं उससे राज्य मांगू |" उसने कहा, "नाई की क्या बुद्धि उसकी बात सुनकर तुम काम न करना राज्य की व्यवस्था देखना बड़ा ही चिंताजनक और दुखदायक होता है लड़ाई संधिआक्रमणकपट इसी कारणों से वह आदमी को कभी सुख से रह नहीं पाता |  जिस राज्य के लिए भाईपुत्र तथा उसके सगे सम्बन्धी भी राजा को मारना चाहते हैऐसे राज्य को दूर से ही छोड़ देना चाहिए |" बुनकर ने कहा, "तूने ठीक कहा अब बता की उससे क्या मांगू उसने कहा, " तुम हर दिन एक कपड़ा बुनते हो उससे घर का खर्च चलता है इसलिए तू उससे दो दूसरे हाथ और एक सर मांग जिससे आगे पीछे दोनों तरफ कपड़ा बुन सको एक कपडे से तो पहले की तरह घर का खर्च चलेगा और दूसरे कपडे के दाम से हम खास काम कर सकेंगे और हमारी बुनकर जाती में हमारा मान भी बढ़ेगा |

     यह बात सुनकर बुनकर खुश हुआ और बोलाबहुत खूब ! तुमने अच्छा सुझाव दिया है मैं यही करूँगा यही मेरा निश्चय है |"

     इसके बाद उसने देवता से जाकर प्राथना की, "यदि आप मुझे मन चाहा वर देना चाहते हैतो दो हाथ और एक सिर दीजिये |" उसके इतना कहते ही उसी समय उसके दो सिर और चार बाहें हो गई ख़ुशी ख़ुशी जब वह अपने घर आ रहा थातब लोगो ने उसे राक्षस समझकर लाठियों और पत्थरो से मार डाला |

इस कथा से यह सीखते है की,
मुर्ख हाथ आये संधि को भी संकट बना देते है |
जिसके पास अपनी बुद्धि नहीं होतीजो सच्चे मित्र का कहना नहीं करतावह मंथर बुनकर की तरह नष्ट हो जाता है |

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ