Interesting tenali rama story. You can read here tenali raman stories

तेनालीराम की कहानी इन हिंदी तेनालीराम की बुद्धिमानी आप यहाँ पढ़ सकते है तेनाली रामा की  अद्भुत २ कहानियाँ

 Tenali rama hindi story
1) उबासी की सजा 
Tenali rama , Tenali rama story
Tenali rama story

एक दिन तेनालीराम को रानी तिरुमाला देवी से एक संदेशा आया की, वह तेनालीराम से मिलना चाहते हैं। तेनालीराम सोच में पड़ गए कि रानी तिरुमाला ने मुझे क्यों याद किया होगा?

तो तेनालीराम तुरंत ही रानी से मिलने गए।

"रानी तिरुमाला जी! आपने इस बंदे को क्यों याद किया?
"
तेनालीराम जी, हम काफी दिन से भारी मुसीबत में है।"

तेनालीराम बोले। "रानी जी मेरे होते हुए आपको किसी प्रकार की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। मुझे बताइए? क्या समस्या है? तुरंत में उसका निवारण कर दूंगा।"

दिलासा पाकर रानी तिरुमाला की आंखें भीग गई। और वह बोली।

बात दरअसल यह है कि महाराज मुझसे काफी गुस्सा है।
तेनालीराम बोले। "किंतु क्यों? ऐसा क्या हुआ कि महाराज आप से नाराज है?

"एक दिन महाराज कृष्ण देवराय हमें एक प्रेम कथा पढ़कर सुना रहे थे। हम भी बड़े चाव से उसे सुन रहे थे। मगर दिन भर की थकान से और काम से हमारा शरीर कुछ थक सा गया था। इसी वजह से उस वक्त हमें उबासी गई। बस इसी बात पर महाराज गुस्सा हो कर चले गए। कई दिनों से महाराज ने अपना रुख हमारी तरफ ही नहीं किया और हमसे बात भी नहीं करते हैं। हाला कि इसमें मेरा कोई दोष नहीं है। फिर भी मैंने महाराज से माफी मांगी। पर महाराज पर कोई असर नहीं हुआ। इनका गुस्सा और नाराजगी कुछ भी कम नहीं हुई। अब तुम ही इस समस्या का निवारण कर सकते हो तेनालीराम।"

"
आप किसी प्रकार की चिंता ना करो महारानी।"

महारानी को धाडस बँधाकर तेनालीराम दरबार में पहुंच गए। महाराज वहां मंत्रियों के साथ बैठे हुए थे। और राज्य में चावल की खेती पर चर्चा हो रही थी। महाराज मंत्रियों से कह रहे थे 'कि चावल के ऊपज बढ़ाना आवश्यक है। हमें इसके लिए बहुत प्रयत्न करना पड़ेगा। हमारे प्रयत्न से कुछ सुधार तो हुआ। मगर अगर चावल के ऊपज इतनी बढ़नी चाहिए कि किसान अपना पेट तो भर पाए और बचे हुए धान बेचकर धनवान भी हो जाए।'

तभी तेनालीराम ने राजा के सामने पड़े चावल के बीजों में से एक छोटा बीज उठा लिया। और कहने लगे, "यदि इस किस्म का बीज बोया जाए तो हर साल उपज दोगुनी से तीन गुनी हो जाएगी।

महाराज ने पूछा, "क्या इस किस्म का बीज इसी खाद में हो जाएगा?"
तेनालीराम ने कहा, हाँ, इस प्रकार बीज और दूसरा प्रयास करने की कोई आवश्यकता भी नहीं। किंतु?
महाराज बोले, " परंतु क्या है? तेनालीराम।"

तेनाली राम ने कहा, "इसे बोने, सींचने और काटने वाला व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जिसे अपनी जीवन भर में कोई उबासी ना आई। और भविष्य में ना आए?"

महाराज इस वक्तव्य से चिढ गए। और बोले! क्या तेनालीराम तुम मूर्ख हो क्या? क्या इस संसार में ऐसा कोई व्यक्ति है, जिसे आज तक उबासी आई हो ?

तेनालीराम ने कहा, क्षमा करें। महाराज मुझे मालूम नहीं था कि, उबासी सभी को आती है। मैं और रानी तिरुमाला जी यही समझते थे की, उबासी आना एक बहुत बड़ा जुर्म है। और यह कोई सामान्य बात नहीं है। मैं अभी जाकर रानी तिरुमाला जी से कहता हूं, कि यह एक सामान्य बात है।

महाराज अब समझ गए कि हमें अपनी गलती का एहसास करने के लिए तेनालीराम ने ऐसा कहा।महाराज तेनालीराम से बोले, "ठीक है तुम मत जाओ। मैं स्वयं जाकर महारानी को यह बात बता दूंगा। महाराज तुरंत महल में जाकर रानी जी से मिले और उनके सभी शिकवे समाप्त कर दिए।



Tenali rama hindi story  

2) सबसे बड़ा दान 

Hindi story on donation 

एक बार कृष्णदेवराय के राज दरबार में एक ब्राह्मण मंदिर निर्माण के लिए दान की अपेक्षा से आया था। तब कृष्णदेवराय ने उस ब्राह्मण को ५००० सुवर्णमुद्रा का दान घोषित किया।  तभी कृष्णदेवराय ने तेनालीराम के चहरे पर एक विचित्र रूप देखा |  तेनालीराम की विचित्र मुस्कराहट देखकर राजा ने ब्राह्मण से पूछा, " अब तक तुम्हे मिले दान सबसे बड़ा दान किसका है। ब्राह्मण ने कहा, " अब तक मुझे ५०००० सुवर्णमुद्रा का दान एक धनि से मिला है।  
     
     यह सुनकर कृष्णदेवराय ने उस ब्राह्मण से कहा, " मंदिर निर्माण के लिए मैं ५,००,००० सुवर्णमुद्रा का दान देता हूँ। यह घोषणा करते ही कृष्णदेवराय ने तेनालीराम के तरफ देखते हुए बोले, " इसका मतलब यह हुआ की, मेरी तरफ से मंदिर निर्माण में सबसे बड़ा दानं हुआ है | फिर भी तेनालीराम के मुख पर वही विचित्रसी मुस्कराहट देखकर राजा ने तेनालीराम से पूछा,  " तेनाली, क्या विजयनगर में मुझसे बड़ा दानी हो सकता है।  

तेनालीराम ने कहा, "क्यों नहीं हो सकता ?"

     यह सुनकर कृष्णदेवराय राजा तिलमिला उठा और गुस्सेसे तेनालीराम को कहा ''अगर विजयनगर का मुझसे बड़ा दानी कलतक तुमने मेरे सामने नहीं लिया, तो तुम्हे कारावास भोगना पड़ेगा। 

     अगले दिन तेनालीराम ने १ महिला और दो आदमियों को राजदरबार में उपस्थित किया। उनके पोशाख से वो तीनो बहुत ही गरीब मालूम होते थे। कृष्ण देवराय तेनालीराम की तरफ हसते हुए कहा, "क्यों तेनालीराम, किन गरीबो को पकड के लाये हो, कहा है विजयनगर के मुझसे भी बड़े दानी। 

     तेनालीराम ने राजा को बताया, "यह तीनो ही वह दानी है। इस महिला ने १० सुवर्णमुद्रा जितना दान दिया है। इस लोहार ने १५ सुवर्णमुद्रा जितना दान दिया है।  और इस किसान ने २० सुवर्णमुद्रा जितना दान दिया है। 

जरूर पढ़े : चतुर खरगोश | clever rabbit Hindi moral story

     कृष्णदेवराय ने कहा, "इनका दान मेरे दान के आगे एक बून्द की तरह है। तेनालीराम, क्या कारावास के भय से तुम्हारी बुद्धि भ्रमित हुई है। 

तब तेनालीराम ने कहा, "फिर भी इनका दान आपके दान से बहुत बड़ा है, क्यों की इस महिला ने अपना मंगलसूत्र बेचकर मंदिर को दान दिया  है। इस लोहार ने अपने महीने भर के राशन का आधा पैसा मंदिर निर्माण में दान दिया है। अगले महीनेभर इसका परिवार एक वक्त खाना खायेगा। इस किसान ने अपने दोनों बैलो को बेचकर मंदिर को दान दिया है। अब इसके पास खेत जोतने के लिए और बैल नहीं है। इसने अपनी रोजी रोटी ही बेच दी।  

     इन लोगोने जो दान दिया है। वह उनकी संपत्ति का बहुत बड़ा हिस्सा है।  और अपने ने जो दान दिया है वह राज्य की संपत्ति का एक ही बून्द है।  यहाँ पर आपसे अधिक दानी यह महिला है, जिसने अपना अनमोल गहना ही मंदिर निर्माण में दान दिया है। और इस महिला से बड़ा दानी यह लोहार है, जिसका परिवार  मंदिर निर्माण हेतु अगले महीनेभर एक ही वक्त खाना खायेगा। और इस लोहार से भी बड़ा दानी यह किसान है, जिसने अपनी रोजी रोटी ही मंदिर निर्माण में बेच दी। 

निवेदन: कृपया अपने comments के माध्यम से हमें बताएं कि  तेनाली रामा  की कथा  ( Tenali raman stories ) आपको कैसी लगी। 

Also read